1. म.प्र. श्रम कल्याण निधि अधिनियम, 1982 सहपठित नियम 1984 के प्रावधान समस्त कारखानों के साथ ऐसी स्थापनाओं पर प्रभावशील है जिनमें वर्ष में 9 से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं और उनका नाम कैलेंडर वर्ष में जनवरी से दिसंबर तक 30 कार्य दिवसों में दर्ज हैं, उन्हें अधिनियम की धारा 9(1)(2) के अंतर्गत प्रत्येक छ: माह में जून एवं दिसंबर माह में मंडल के पोर्टल shramkalyanmandal.mponline.gov.in पर अभिदाय राशि जमा कराना अनिवार्य है। तथा उक्ताशय की जानकारी प्रारूप ‘’क’’ में भरकर भेजा जाना सुनिश्चित करेंगे। सुलभ संदर्भ हेतु प्रारूप ‘’क’’ की प्रति परिशिष्ट-1 संलग्न है।
मंडल की अभिदाय की दरें निम्नवत हैं:-
श्रमिक का अभिदाय- 10 रूपये (प्रति श्रमिक प्रति छ:माह)
नियोजक का अभिदाय- 30 रूपये (प्रति श्रमिक प्रति छ:माह)
नियोजक का अभिदाय न्यूनतम 1500 रूपये से कम नहीं होगा। (प्रति छ:माह)
(प्रत्येक नियोजक, का अभिदाय और कर्मचारियों का अभिदाय ऐसे दोनों का ही संदाय मंडल को प्रत्येक वर्ष 15 जुलाई और 15 जनवरी के पूर्व करेगा।)
यदि नियोजक ऐसे अभिदाय या किसी ऐसी राशि का, जिसका भुगतान करने के लिये वह इस अधिनियम के अधीन दायी है, भुगतान करने में चूक करता है तो अधिनियम की धारा 31 (2) (क) (ख) का उल्लंघन होगा, तो वह कारावास से, जो 1 वर्ष तक का हो सकेगा या जुर्माने से, जो 20,000/- रूपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडनीय होगा।
2. म.प्र. श्रम कल्याण निधि नियम 1984 के नियम 3(1)(क)(ख) के अंतर्गत नियोजक कर्मचारियों से वसूल किये गये जुर्माने की समस्त रकमों का एवं नियोजक द्वारा धारित असंदत्त संचित राशियों का संदाय मंडल को करेगा। नियम 3 (2) अनुसार प्रत्येक नियोजक जुर्माने एवं असंदत्त संचित राशियों का संदाय 31 मार्च/30 जून/30 सितंबर/31 दिसंबर को प्रत्येक तिमाही की समाप्ति से 15 दिन के भीतर मंडल को करेगा। असंदत्त संचित राशि का प्रारूप ‘’ई’’ परिशिष्ट- 2 संलग्न है।
3. म.प्र. श्रम कल्याण निधि नियम 1984 के नियम 33 में नियोजक को अदावाकृत मजदूरी तथा जुर्माने का रजिस्टर बनाये रखना अनिवार्य है जिसका प्रारूप ‘’ड’’ परिशिष्ट-3 संलग्न है।
4. अधिनियम की धारा 14-ख में प्रत्येक नियोजक को उसके द्वारा वित्तीय वर्ष के दौरान किये गये कल्याणकारी क्रियाकलापों संबंधी एक रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में कल्याण आयुक्त को भेजेगा, जिसका प्रारूप ‘’अ’’ परिशिष्ट-4 संलग्न है।
5. म.प्र. श्रम कल्याण निधि अधिनियम, 1982 की धारा-16 के अंतर्गत नियुक्त निरीक्षक को निधि नियम-16 के अंतर्गत अधिनियम के प्रयोजनों को क्रियान्वित करने के लिये किसी नियोजन को अपने निरीक्षण के लिये कोई दस्तावेज जिनमें पूर्व में जमा अभिदाय संबंधी दस्तावेज, कर्मचारियों से वसूल किये गये जुर्माने की रकम संबंधी पंजी तथा अनपेड राशि संबंधी प्रत्येक तिमाही में भेजे गये विवरण के दस्तावेज, उपस्थिति पंजी आदि पेश करने तथा ऐसे किसी दस्तावेज की सत्य प्रतिलिपि प्रदाय करने और लिखित में उसे विवरण देने के लिये अपेक्षित करने की भी शक्तियॉं हैं।
(म.प्र. श्रम कल्याण निधि अधिनियम, 1982 की धारा-31 के अंतर्गत निरीक्षक को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में बाधा पहँचाने के लिये या चाहे गये दस्तावेज आदि पेश न करना अधिनियम की धारा 31 (1) का उल्लंघन होकर दंडनीय अपराध है।)
6. म.प्र. श्रम कल्याण निधि अधिनियम, 1982 के समस्त प्रावधान ऐसी स्थापनाओं जो व्यवसाय अथवा व्यापार अथवा उससे संबंधित अथवा सहयोगी कार्य करते हों एवं जिनमें विगत 12 माह में किसी भी कार्य दिवस पर 9 से अधिक कर्मचारी नियुक्त हों, पर प्रवृत्त हैं। इसके अंतर्गत समस्त ठेकेदार आते हैं। सभी ठेकेदार उनके द्वारा पृथक-पृथक यूनिट में नियोजित श्रमिकों का अभिदाय पृथक-पृथक मंडल को प्रेषित करेंगे।